दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय प्रेम

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प्रेम  उस इत्र के समान हैं  जो थोड़ा सा बिखर  जाये तो पुरा जीवन महका देता है…. प्रेम  उस मासूम बच्चे की तरह है जो छल नहीं  जानता …. प्रेम  सावन ...

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